INDICATORS ON HINDI KAHANI STORY YOU SHOULD KNOW

Indicators on hindi kahani story You Should Know

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हिन्दी कहानी

नक़ल उतारने वाला नाई : पंचतंत्र की कहानी

वर्तमान में भी उतनी ग्राह्य और भाव बोधक है जितनी इनके लिखते समय में थी ।

एक आदर्शवादी कहानी है जिसमें मनुष्य के अन्दर छिपे दैवत्व के गुणों को उजागार

हैं जिन्होंने मानव के मानसिक अन्तर्द्वन्द्वों और गूढ़ रहस्यों को परखने का यत्न

प्रमुख कहानियाँ हैं - चरणों की दासी, रोगी, परित्यक्ता, जारज, अनाश्रित, होली, धन का - अभिशाप, प्रतिव्रता या पिशाची, एकाकी, मैं,

सुखदेव ने ज़ोर से चिल्ला कर पूछा—'मेरा साबुन कहाँ है?' श्यामा दूसरे कमरे में थी। साबुनदानी हाथ में लिए लपकी आई, और देवर के पास खड़ी हो कर हौले से बोली—'यह लो।' सुखदेव ने एक बार अँगुली से साबुन को छू कर देखा, और भँवें चढ़ा कर पूछा—'तुमने लगाया था, क्यों?

मैं अमीर नहीं हूँ। बहुत कुछ समझदार भी नहीं हूँ। पर मैं परले दरजे का माँसाहारी हूँ। मैं रोज़ जंगल को जाता हूँ और एक-आध हिरन को मार लाता हूँ। यही मेरा रोज़मर्रा का काम है। मेरे घर में रुपये-पैसे की कमी नहीं। मुझे कोई फ़िकर भी नहीं। इसी सबब से हर रोज़ मैं निज़ाम शाह

''ताऊजी, हमें लेलगाड़ी (रेलगाड़ी) ला दोगे?" कहता हुआ एक पंचवर्षीय बालक बाबू रामजीदास की ओर दौड़ा।बाबू साहब ने दोंनो बाँहें फैलाकर कहा—''हाँ बेटा,ला देंगे।'' उनके इतना कहते-कहते बालक उनके निकट आ गया। उन्होंने बालक को गोद में उठा लिया और उसका मुख चूमकर विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक'

इन्होंने मानव के अवचेतन मन की क्रियाओं और उनकी मानसिक ग्रन्थियों को अपनी

राजा शिवप्रसाद सितारे हिन्द की कहानी 'राजाभोज का सपना' भी ऐसी ही कहानी है, इसमें भी थोड़ा बहुत आधुनिकता का स्पर्श मिलता है। इन

तथा पौराणिक और ऐतिहासिक सन्दर्भों पर भी कहानियाँ लिखी हैं। विपथगा, शरणार्थी, परम्परा, अमर वल्लरी, कोठरी की बात आदि

वह कौन-सा मनुष्य है जिसने महा-प्रतापी राजा भोज महाराज का नाम न सुना हो! उसकी महिमा और कीर्ति तो सारे जगत् में व्याप रही है, और बड़े-बड़े महिपाल उसका नाम सुनते ही काँप उठते थे और बड़े-बड़े भूपति उसके पाँव पर अपना सिर नवाते। सेना उसकी समुद्र की तरंगों राजा शिवप्रसाद सितारे हिंद

चिट्ठी-डाकिए ने दरवाज़े पर दस्तक दी तो नन्हों सहुआइन ने दाल की बटली पर यों कलछी मारी जैसे सारा कसूर बटुली का ही है। हल्दी से रँगे हाथ में कलछी पकड़े वे रसोई से बाहर आई और ग़ुस्से के मारे जली-भुनी, दो का एक डग मारती ड्योढ़ी के पास पहुँची। “कौन है रे!” शिवप्रसाद सिंह

व्यापारी का उदय और पतन : पंचतंत्र की कहानी 

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